Na hum muflis na hum laghar na muhtaj. E. Karam nikly..
Na hum un myn se jo ye keh dn k tery drr pe dum nikly..
Wo ghalib thy jo by.aabru ho kr chly gaye...
Hazaru galiyan day kr tery kochy se na hum nikly...
نہ ہم مفلس نہ ہم لاغر نہ محتاج کرم نکلے ..
نہ ہم ان مىں جو ىہ کہہ دىں کہ تىرے در پہ دم نکلے ...
وه غالب تهے جو بے آ برو ہو کہ چلے گۓ ،.
ہزاروں گا لىاں دے کر تىرے کو چے سے ہم نکلے..!
हम न तो गरीब हैं और न ही क्षीण और न ही जरूरतमंद।
न ही हम उन लोगों में हैं जो कहते हैं कि आपका दरवाजा सांस से बाहर है ...
वह वह था जो प्रबल हुआ और चला गया।
हजार देने के बाद, हम आपके मुंह से निकले ..!
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